Monday, December 21, 2015
Wednesday, November 25, 2015
Thursday, November 19, 2015
Chidhood Memories
जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था...
जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!
जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...
आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!
कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...
आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है... !!!
स्कूल में जिनके साथ ज़गड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट पे तलाशते है... !!
ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है...
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...
काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..
काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!
जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिएl
जब हमारे पास चार रंगों से लिखनेवाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |
जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके.जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |
सोचा करते थे की ये चाँद हमारी साइकिल के पीछे पीछे क्यों चल रहा हैl
On/Off वाले स्विच को बीच में अटकाने की कोशिश किया करते थे |
फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जाननेकी कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं |
सच , बचपन में सोचते हम बड़े क्यों नहीं हो रहे ? और अब सोचते हम बड़े क्यों हो gye?
ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो....
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..
I miss my childhood . Do you miss your chilhood?
Tuesday, October 27, 2015
Wednesday, September 23, 2015
सफल जीवन क्या होता है
एक बेटे ने पिता से पूछा – पापा ये ‘सफल जीवन’ क्या होता है ?
पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए।
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था…
थोड़ी देर बाद बेटा बोला, पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !! ये और ऊपर चली जाएगी…
पिता ने धागा तोड़ दिया ..
पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई…
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया .,,,,
बेटा..
‘जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं
‘जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं
जैसे :घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता आदि और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं… वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिन धागे की पतंग का हुआ…’
“अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना..”
” धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही ‘सफल जीवन’ कहते हैं
” धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही ‘सफल जीवन’ कहते हैं
Tuesday, January 27, 2015
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