Saturday, October 19, 2013

Hindi Poems by Surdas


Hindi Poem 1

प्रभू मोरे अवगुण चित न धरो ।

समदरसी है नाम तिहारो चा पारस गुण अवगुण नहिं चितवत कंचन करत खरो ॥

एक नदिया एक नाल कहावत मैलो ही नीर भरो ।

जब दौ मिलकर एक बरन भई सुरसरी नाम परो ॥

एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो ।

अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥

English Translation

Lord, heed not my faults!

You are known as he who sees as all equal,

At will you can take me across the ocean of existence.

One iron is used in worship, another in butcher's steel;

The philosopher's stone counts not merit or fault

But turns both to purest gold.

One is called "river", another a "rivulet" filled with murky water;

When they merge they become of one colour and are known

As "Sursari"(Ganges), river of gods.

The soul and the Supreme are given different names,

But all is one in Sur's Shyam.

This time, take me across, or give up your vow to be saviour!

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Hindi Poem 2

अखियाँ हरि दर्शन की प्यासी ।

देखो चाहत कमल नयन को, निस दिन रहत उदासी ॥

केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के वासी ।

नेहा लगाए त्यागी गये तृण सम, डारि गये गल फाँसी ॥

काहु के मन की कोऊ का जाने, लोगन के मन हाँसी ।

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस बिन लेहों करवत कासी ॥

English Translation

Our eyes thirst for a vision of Hari;

They long to see the lotus-eyed one,

Grieving for him day and night.

Wearing a saffron tilak and pearl garland

And dwelling in Vrindavan,

He gave us his love, then cast us aside like a blade of grass,

Throwing a noose around our necks.

No one knows what is in another's mind,

There is laughter in people's hearts;

But Lord of Surdas, without a vision of you

we would give up our very lives.

Sunday, August 18, 2013

तेरी दखलंदाजी ना हो



तेरी दखलंदाजी ना हो,
तो थोड़ा शुकून मुझे भी मिल जाता
बैचारा अकेलापन, वक्त- बे-वक्त
तड़पने को मजबूर करता है|

और हम कदमें गिन-गिनकर
प्यार खोजते है , कभी - कभी|
पर निकम्मी निगाहे नहीं उठती,
डर अगर धोखे का ना हो
तो शायद हिम्मत भी जुट जाती|

उनके कहे लब्जों को तरसते कान,
किसी और को कहते सुनकर
उनमें खुशियाँ खोजते है|

खुशबु का क्या?
वो जब मिल जाये |
तो आंसू बूंद-बूंद बहकर,
अपनी ख़ुशी कहती है|

सच कहता हूँ ,
मुझ जैसा, आशिक कोई नहीं होगा|
लेकिन मेरे इश्क का सफ़रनाम 
सीतम की अन्तहीन, यादों से शुरू होती है 
बस अब तो, खुद की लाचारगी पर भी हँस देता हूँ , " मैं "|

Monday, January 14, 2013

गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना


गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना, 
जो भीग आये तेरा कोरा मन, दिल की हर उलझन मुझसे ना छुपाना,

ना रखना बंद इन अधरों(होठ) को सनम, साथ ना दे जुबा तो आँखों से जाताना,
जो घिर आये दुखो के बदरा घरो पे, मेरे हिस्से की खुशियों से तू एक आशियाँना बसाना,

छोड़ो भी जिद देखो आयी प्यार की ऋतु, ले के "अंश" नाम अब ना शर्माना 
गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना...!!!

अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है


अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है

ना ही आशियाना न ही एक दाना खाने को
जूझती ज़िन्दगी से एक आश लगाये बैठे है,

किसको कोसे तकदीर को या बीते जमीर को 
दुखो की जलती भट्टी में, सुख का आच लगाये बैठे है 

जहा ने जब भी ठुकराया झुटलाया हमारे सपनो को
रूह से दुवा, मगर दिल से प्यार जताए बैठे है 

एक तो वक़्त रूठा और ये घिनौनी सी दुनिया 
भेड़चाल भरी दुनिया में कहा किसी को फुर्सत 

सुक्र है "अंश" का जो दर्दे-ए-बया, कागज़ पे लिखाए बैठे है 
या खुदा सोजा तू भी काली रातो के संघ 

"अंश" तो आज अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है..!

Tuesday, January 1, 2013

Amitabh Bachchan's poem for 'India's Daughter'




Actor Amitabh Bachchan wrote and recited a poem for the 23-year-old medical student who died in a Singapore hospital on 30 December 2012. He uploaded it on his official Facebook page.
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