Saturday, November 11, 2017

CHAAND :)



Amateur poets' soft target - Moon !!

we spend so much time staring at the screens.. that we miss the simple joys of life..something as beautiful and intriguing as full moon!

Wednesday, July 27, 2016

औरत की अक्ल (हास्य कविता)


अक्ल बाटने लगे विधाता,

लंबी लगी कतारें ।
सभी आदमी खड़े हुए थे,
कहीं नहीं थी नारी ।


सभी नारियाँ कहाँ रह गई.
था ये अचरज भारी ।
पता चला ब्यूटी पार्लर में,
पहुँच गई थी सारी।


मेकअप की थी गहन प्रक्रिया,
एक एक पर भारी ।
बैठी थीं कुछ इंतजार में,
कब आएगी बारी ।


उधर विधाता ने पुरूषों में,
अक्ल बाँट दी सारी ।
ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर,
जब पहुँची सब नारी ।


बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है,
नहीं अक्ल अब बाकी ।
रोने लगी सभी महिलाएं ,
नींद खुली ब्रह्मा की ।


पूछा कैसा शोर हो रहा है,
ब्रह्मलोक के द्वारे ?
पता चला कि स्टॉक अक्ल का
पुरुष ले गए सारे ।


ब्रह्मा जी ने कहा देवियों ,
बहुत देर कर दी है ।
जितनी भी थी अक्ल वो मैंने,
पुरुषों में भर दी है ।


लगी चीखने महिलाये ,
ये कैसा न्याय तुम्हारा?
कुछ भी करो हमें तो चाहिए.
आधा भाग हमारा ।


पुरुषो में शारीरिक बल है,
हम ठहरी अबलाएं ।
अक्ल हमारे लिए जरुरी ,
निज रक्षा कर पाएं ।


सोचकर दाढ़ी सहलाकर ,
तब बोले ब्रह्मा जी ।
एक वरदान तुम्हे देता हूँ ,
अब हो जाओ राजी ।


थोड़ी सी भी हँसी तुम्हारी ,
रहे पुरुष पर भारी ।
कितना भी वह अक्लमंद हो,
अक्ल जायेगी मारी ।


एक औरत ने तर्क दिया,
मुश्किल बहुत होती है।
हंसने से ज्यादा महिलाये,
जीवन भर रोती है ।


ब्रह्मा बोले यही कार्य तब,
रोना भी कर देगा ।
औरत का रोना भी नर की,
अक्ल हर लेगा ।


एक अधेड़ बोली बाबा ,
हंसना रोना नहीं आता ।
झगड़े में है सिद्धहस्त हम,
खूब झगड़ना भाता ।


ब्रह्मा बोले चलो मान ली,
यह भी बात तुम्हारी ।
झगडे के आगे भी नर की,
अक्ल जायेगी मारी ।


ब्रह्मा बोले सुनो ध्यान से,
अंतिम वचन हमारा ।
तीन शस्त्र अब तुम्हे दिए.
पूरा न्याय हमारा ।


इन अचूक शस्त्रों में भी,
जो मानव नहीं फंसेगा ।निश्चित समझो, 
उसका घर नहीं बसेगा ।


कहे कवि मित्र ध्यान से,
सुन लो बात हमारी ।
बिना अक्ल के भी होती है,
नर पर नारी भारी।

Saturday, July 16, 2016

जिंदगी बरबाद किसने की

लोग पूछते है
जिंदगी बरबाद किसने की
हमने उठाई ऊंगली और
अपने ही दिल पे रख दी

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Thursday, March 24, 2016

अरे हमें तो अपनों ने लूटा



🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸
अरे हमें तो अपनों ने लूटा
गैरों में कहाँ दम था
मेरी हड्डी वहाँ टूटी
जहाँ हॉस्पिटल बन्द था

मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला
उसका पेट्रोल ख़त्म था
मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया
क्योंकि उसका किराया कम था

मुझे डॉक्टरों ने उठाया
नर्सों में कहाँ दम था
मुझे जिस बेड पर लेटाया
उसके नीचे बम था

मुझे तो बम से उड़ाया
गोली में कहाँ दम था
और मुझे सड़क में दफनाया
क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था

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(भयंकर शायरी)

Sunday, January 17, 2016

बेटी बचाओ...


बेटी तो घर की शान होती है , 
बेटी से ही मुस्कान होती है ..
पर हर कोई ये समझता नहीं , 
तभी तो दुनिया बदनाम होती है ..

बेटी ही आँगन महकाए ;
बेटी ही माँ के पाँव दबाये ,
पर बेटे की चाह में अक्सर ; 
मा ए भी जल्लाद बन जाए ..

वैसे तो कहते है , 
बेटी ही बाप को प्यारी होती है ..
पर लोग यही मानते है,
बेटी तो बाप के सर पर भारी होती है .. 

बेटी को है शिक्षा दिलाना , 
अपने पेरो पे खड़ा हे करना ,
पर यही सोच हमारी है ;
बेटी को तो है चूल्हा ही जलाना ...

बेटा तो बहु को दान में हे लाये ,
पर बेटी तो कन्यादान का सौभाग्य दिलाये ..

अक्सर सुना है कहते है माबाप , 
सेवा तो बेटे को ही करनी है ..
पर बेटी को बेटा मान के मौका तो दो ,
फिर देखो वो तुम्हारे लिए क्या क्या करती है ..

बेटी ही शर्म का गहना है,
इसमें कोई संदेह नहीं ,
पर अगर हाथ में हथियार उठाले ,
तो किसी यौद्धा से भी कम नहीं ..

वैसे तो बेटी के बारे में हे दकियानुशी बाटे है कई ,
पर मत सुनो उन बातो को जो तुमसे गलत काम हे करवाती ..

बेटीओ पर बढ़ रहे हे अत्याचार हर साल ,
इसी वजह से हे अपने देश का बुरा हाल ...

अगर बदलना हे अपने देश का हाल ;
तो आज से....... ; बल्कि अभिसे ......., डंका बजाओ ..
और कहो सबसे की बेटी बचाओ .....

पानी तेरे कितने नाम


पानी तेरे कितने नाम 

Wednesday, November 25, 2015

ईष्यालु दोस्तों की ईष्या से भगवान भी नहीं बचा सकता

ईष्यालु  दोस्तों की ईष्या से 

भगवान भी नहीं बचा सकता 

Sukhdev Taneja (India)

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Thursday, November 19, 2015

संसार में ऐसा कोई नहीं, जिसे कोई समस्या नहीं



संसार में ऐसा कोई नहीं, जिसे कोई समस्या नहीं

और ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका कोई हल नहीं

English Traslation

There is no man in World that has none problem 

And there is no problem which can be solved


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Chidhood Memories


जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था... 
जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!
जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...
आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!
कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था... 
आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है... !!!
स्कूल में जिनके साथ ज़गड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट पे तलाशते है... !!
ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है... 
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है... 
काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..
काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!
जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिएl
जब हमारे पास चार रंगों से लिखनेवाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |
जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके.जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |
सोचा करते थे की ये चाँद हमारी साइकिल के पीछे पीछे क्यों चल रहा हैl
On/Off वाले स्विच को बीच में अटकाने की कोशिश किया करते थे |
फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जाननेकी कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं |
सच , बचपन में सोचते हम बड़े क्यों नहीं हो रहे ? और अब सोचते हम बड़े क्यों हो gye?
ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो....
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..

I miss my childhood . Do you miss your chilhood?

Tuesday, October 27, 2015

इस उम्मीद से मत फिसलो


इस उम्मीद से मत फिसलो,

कि तुम्हें कोई उठा लेगा !!

सोच कर मत डूबो दरिया में,
कि तुम्हें कोई बचा लेगा!!

ये दुनिया तो एक अड्डा है,
तमाशबीनों का दोस्तों!!

गर देखा तुम्हें मुसीबत में तो
यहां हर कोई मज़ा लेगा!!

Wednesday, September 23, 2015

सफल जीवन क्या होता है


एक बेटे ने पिता से पूछा – पापा ये ‘सफल जीवन’ क्या होता है ?

पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए।
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था…

थोड़ी देर बाद बेटा बोला, पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !! ये और ऊपर चली जाएगी…

पिता ने धागा तोड़ दिया ..

पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई…
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया .,,,,
बेटा..
‘जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं
जैसे :घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता आदि और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं… वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिन धागे की पतंग का हुआ…’
“अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना..”
” धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही ‘सफल जीवन’ कहते हैं

Monday, December 15, 2014

कृष्ण की दीवानी बनकर


कृष्ण की दीवानी बनकर मीरा ने घर छोड़ दिया।
इक राजा की बेटी ने गिरधर से नाता जोड़ लिया॥

नाचे, गावे मीराबाई, ले कर मन का इक तारा।
पग में घुँघरू, गले में माला, भेष जोगन का ही धारा।
राणा कुल की आन बान को, सब मीरा ने तोड़ दिया।
कृष्ण की दीवानी बनकर...........

पी गई मीराबाई देखो, राणा के विष का प्याला।
क्या बिगाड़ सकता है कोई, जिसका गिरधर रखवाला॥
मन मोहन के रंग में रंगकर, मीरा ने जग छोड़ दिया।
कृष्ण की दीवानी बनकर...........

श्याम शरण में जो भी आते, श्याम के ही बन जाते है।
भजन भाव में भक्त दयालु, मीरा के गुण गाते है॥
भव सागर से तिर गई मीरा, देह का बंधन छोड़ दिया।
कृष्ण की दीवानी बनकर

Saturday, October 19, 2013

Hindi Poems by Surdas


Hindi Poem 1

प्रभू मोरे अवगुण चित न धरो ।

समदरसी है नाम तिहारो चा पारस गुण अवगुण नहिं चितवत कंचन करत खरो ॥

एक नदिया एक नाल कहावत मैलो ही नीर भरो ।

जब दौ मिलकर एक बरन भई सुरसरी नाम परो ॥

एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो ।

अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥

English Translation

Lord, heed not my faults!

You are known as he who sees as all equal,

At will you can take me across the ocean of existence.

One iron is used in worship, another in butcher's steel;

The philosopher's stone counts not merit or fault

But turns both to purest gold.

One is called "river", another a "rivulet" filled with murky water;

When they merge they become of one colour and are known

As "Sursari"(Ganges), river of gods.

The soul and the Supreme are given different names,

But all is one in Sur's Shyam.

This time, take me across, or give up your vow to be saviour!

===========================

Hindi Poem 2

अखियाँ हरि दर्शन की प्यासी ।

देखो चाहत कमल नयन को, निस दिन रहत उदासी ॥

केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के वासी ।

नेहा लगाए त्यागी गये तृण सम, डारि गये गल फाँसी ॥

काहु के मन की कोऊ का जाने, लोगन के मन हाँसी ।

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस बिन लेहों करवत कासी ॥

English Translation

Our eyes thirst for a vision of Hari;

They long to see the lotus-eyed one,

Grieving for him day and night.

Wearing a saffron tilak and pearl garland

And dwelling in Vrindavan,

He gave us his love, then cast us aside like a blade of grass,

Throwing a noose around our necks.

No one knows what is in another's mind,

There is laughter in people's hearts;

But Lord of Surdas, without a vision of you

we would give up our very lives.

Sunday, August 18, 2013

तेरी दखलंदाजी ना हो



तेरी दखलंदाजी ना हो,
तो थोड़ा शुकून मुझे भी मिल जाता
बैचारा अकेलापन, वक्त- बे-वक्त
तड़पने को मजबूर करता है|

और हम कदमें गिन-गिनकर
प्यार खोजते है , कभी - कभी|
पर निकम्मी निगाहे नहीं उठती,
डर अगर धोखे का ना हो
तो शायद हिम्मत भी जुट जाती|

उनके कहे लब्जों को तरसते कान,
किसी और को कहते सुनकर
उनमें खुशियाँ खोजते है|

खुशबु का क्या?
वो जब मिल जाये |
तो आंसू बूंद-बूंद बहकर,
अपनी ख़ुशी कहती है|

सच कहता हूँ ,
मुझ जैसा, आशिक कोई नहीं होगा|
लेकिन मेरे इश्क का सफ़रनाम 
सीतम की अन्तहीन, यादों से शुरू होती है 
बस अब तो, खुद की लाचारगी पर भी हँस देता हूँ , " मैं "|

Monday, January 14, 2013

गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना


गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना, 
जो भीग आये तेरा कोरा मन, दिल की हर उलझन मुझसे ना छुपाना,

ना रखना बंद इन अधरों(होठ) को सनम, साथ ना दे जुबा तो आँखों से जाताना,
जो घिर आये दुखो के बदरा घरो पे, मेरे हिस्से की खुशियों से तू एक आशियाँना बसाना,

छोड़ो भी जिद देखो आयी प्यार की ऋतु, ले के "अंश" नाम अब ना शर्माना 
गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना...!!!

अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है


अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है

ना ही आशियाना न ही एक दाना खाने को
जूझती ज़िन्दगी से एक आश लगाये बैठे है,

किसको कोसे तकदीर को या बीते जमीर को 
दुखो की जलती भट्टी में, सुख का आच लगाये बैठे है 

जहा ने जब भी ठुकराया झुटलाया हमारे सपनो को
रूह से दुवा, मगर दिल से प्यार जताए बैठे है 

एक तो वक़्त रूठा और ये घिनौनी सी दुनिया 
भेड़चाल भरी दुनिया में कहा किसी को फुर्सत 

सुक्र है "अंश" का जो दर्दे-ए-बया, कागज़ पे लिखाए बैठे है 
या खुदा सोजा तू भी काली रातो के संघ 

"अंश" तो आज अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है..!

Tuesday, January 1, 2013

Amitabh Bachchan's poem for 'India's Daughter'




Actor Amitabh Bachchan wrote and recited a poem for the 23-year-old medical student who died in a Singapore hospital on 30 December 2012. He uploaded it on his official Facebook page.

Thursday, December 13, 2012

कैसे दिन बीते कैसे बीती रतिया


नेहा लगा के मैं पछताई
सारी सारी रैना निन्दिया न आई
जान के देखो मेरे जी की बतिया
पिया जाने न
हाय
कैसे दिन बीते कैसे बीती रतिया
पिया जाने न

रुत मतवाली आ के चली जाये
मन में ही मेरे मन की रही जाये
खिलने को तरसे नन्ही नन्ही कलियाँ
पिया जाने न
हाय
कैसे दिन बीते कैसे बीती रतिया
पिया जाने न

कजरा न सोहे गजरा न सोहे
बरखा न भाये बदरा न सोहे
क्या कहूँ जो पूछे मोसे मोरी सखियाँ
पिया जाने न
हाय
कैसे दिन बीते कैसे बीती रतिया
पिय जाने न

Movie : Anuradha
Singer : Lata Mangeshkar
Music Director : Ravi Shankar

Pandit Ravi Shankar (Born: April 7, 1920, Varanasi, Died: December 11, 2012, San Diego)

Friday, November 9, 2012

ऑनर किलिंग


भस्म हो जाओ असुर,
खलनायक कहीं के,
पुस्तकों में पढ़ा है,

जो हमने लिखा है,
काले अक्षरों में,
उतने ही काले जितनी काली पहली की रात,
फिर दसवीं को जलते हुए,
हसंते क्यों हो?
किस पर?

अपनी बहन की कटी नाक को
इतना बड़ा मुद्दा बना दिया,
अपहरण तक कर लिया, कपटी.
निर्दोष थी उसने लक्ष्मण रेखा लांघने की गलती की,
ठीक है कि तुम ने मर्यादा नहीं लांघी,
तुमने छल तो किया ही था,
छल से ही हो, तुम हारे तो,
अच्छाई जीत गई. बुराई पर.
ये शिक्षा देने के लिए,
हर साल. साल दर साल.
सत्य की असत्य पर विजय,

ना बहस, न मुक़दमा,
सरल, संक्षिप्त, न्याय,
एक तीर नाभि पर,
तम का अंत, तुरंत.

वह पवित्र थी, तुमसे मरती भी नहीं,
वह मरी पवित्र हाथों से,
बुराई ने छुआ तक नहीं, अच्छाई ने मारा,
वह मरी रामराज्य में,
सिद्ध करते हुए,
स्वयं को निर्दोष,
तुम विकराल अट्टहास करते हो,
विशाल लपटों में घिरे,
बौने लोगों की लगाई आग में.
वह जलती है रोज़,
अपहृत होती है, पीड़ित होती है,
अमर्यादित होती, जला दी जाती है,
सिद्ध करते करते स्वयं को निर्दोष,
अग्नि परीक्षा,
प्रतिदिन, अनवरत!

तुम तो साल में एक बार ही,
अश्विन, शुक्ल पक्ष, दशमी की तिथि!
वह जलती है, तुम्हारे जलने से पहले.
तुम्हारे भस्म होने के बाद भी.

(English Translation)

Burn, you mad man! You, the villain,
The bad guy, in the history that we wrote!

A history that is told, and retold.
Year after year.

Your history is dark, as dark as the first night,
Yet on the tenth you burn, bright.
And laughing.
At us.

All for your sister’s honour, her already damaged nose,
You who snatched her,
Yet did not touch her.
You were cheated, defeated, taught a lesson.
A teaching we are taught, year after year.
Triumph of good over evil.

Summary execution, no trial,
No judge, no jury.
One shot to the abdomen,
and end of all misery!

She was pious,
She did not die in your evil custody,
She died, after she was free,
In the most just kingdom that could be,
At the hands of the good.
She died proving,
She was not damaged goods.

While you guffaw like a villain,
Your towering frame in the giant flame
That tiny men light.
She burns!
She is charred. Scarred.
Guilty until proven innocent.

Trial by fire.
Every day.
She is kidnapped, killed, violated,
Burnt alive.

You burn once a year.
Burn, you mad man!

Saturday, October 13, 2012

Where are You?.



Zindagi Itna Dard Deti Hai
Dil Me Fir Bhi Umeed Rehti Hai,
Dil Kehta Hai Ki Koi Yaad Nahi Karega,
Par Tum Yaad Karoge Yahi Umeed Rehti Hai.
 

Miss You.
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