कृष्ण की दीवानी बनकर मीरा ने घर छोड़ दिया। 
इक राजा की बेटी ने गिरधर से नाता जोड़ लिया॥
नाचे, गावे मीराबाई, ले कर मन का इक तारा। 
पग में घुँघरू, गले में माला, भेष जोगन का ही धारा। 
राणा कुल की आन बान को, सब मीरा ने तोड़ दिया। 
कृष्ण की दीवानी बनकर...........
पी गई मीराबाई देखो, राणा के विष का प्याला। 
क्या बिगाड़ सकता है कोई, जिसका गिरधर रखवाला॥ 
मन मोहन के रंग में रंगकर, मीरा ने जग छोड़ दिया।
कृष्ण की दीवानी बनकर...........
श्याम शरण में जो भी आते, श्याम के ही बन जाते है। 
भजन भाव में भक्त दयालु, मीरा के गुण गाते है॥ 
भव सागर से तिर गई मीरा, देह का बंधन छोड़ दिया। 
कृष्ण की दीवानी बनकर

 
 

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