Monday, January 14, 2013

गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना


गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना, 
जो भीग आये तेरा कोरा मन, दिल की हर उलझन मुझसे ना छुपाना,

ना रखना बंद इन अधरों(होठ) को सनम, साथ ना दे जुबा तो आँखों से जाताना,
जो घिर आये दुखो के बदरा घरो पे, मेरे हिस्से की खुशियों से तू एक आशियाँना बसाना,

छोड़ो भी जिद देखो आयी प्यार की ऋतु, ले के "अंश" नाम अब ना शर्माना 
गुपचुप से जो आये इस दिल में पिया, लेके "जिया" दूर ना जाना...!!!

अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है


अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है

ना ही आशियाना न ही एक दाना खाने को
जूझती ज़िन्दगी से एक आश लगाये बैठे है,

किसको कोसे तकदीर को या बीते जमीर को 
दुखो की जलती भट्टी में, सुख का आच लगाये बैठे है 

जहा ने जब भी ठुकराया झुटलाया हमारे सपनो को
रूह से दुवा, मगर दिल से प्यार जताए बैठे है 

एक तो वक़्त रूठा और ये घिनौनी सी दुनिया 
भेड़चाल भरी दुनिया में कहा किसी को फुर्सत 

सुक्र है "अंश" का जो दर्दे-ए-बया, कागज़ पे लिखाए बैठे है 
या खुदा सोजा तू भी काली रातो के संघ 

"अंश" तो आज अँधेरे में सुकून जलाये बैठे है..!

Tuesday, January 1, 2013

Amitabh Bachchan's poem for 'India's Daughter'




Actor Amitabh Bachchan wrote and recited a poem for the 23-year-old medical student who died in a Singapore hospital on 30 December 2012. He uploaded it on his official Facebook page.
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