मुझमे एहसास है ,मुझसे परिवार है
मुझमे एहसास है ,मुझमे परिवार है
मै परिवार में हूँ, मुझमे प्यार है
सच ! परिवार में प्यार है
पर घर पर सबका अधिकार है !
घर में रहें या परिवार में
एहसास अब सिमटने लगे हैं
रिश्तों के बर्फ अब पिघलने लगे हैं
कुछ मिलने लगा है कुछ खोने लगा है
रिश्तों से घर बनता है और प्यार से परिवार
फिर रिश्ता बड़ा या प्यार ?
ओह घर पर तो सबका अधिकार
प्यार से जियें या अधिकार से जियें
बस ज़िन्दगी को जिंदगी की तरह जियें
फिर सोचे योगी खोजे मन
रिश्ते बड़े या प्यार बड़ा ?
यह कविता क्यों ? कुछ ऐसे एहसास होते हैं जो रिश्तों के बंधन रेखा से परे होते हैं जिंदगी भर निस्वार्थ हो साथ निभाते हैं प्यार तो हर रिश्ते का आधार है जब प्यार का आधार नहीं तो रिश्तो का क्या अस्तित्व खुद सोचे रिश्ते बड़े या प्यार बड़ा ?
अरविन्द योगी
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